Tuesday, July 13, 2010

मन


अभी भी मन करता है की बारिश में भिगो 
अभी भी मन कहता है खुद के लिए कुछ गुनगुनाऊँ 
अभी भी मन उतना ही शराररती है , कहता है कुछ लम्हे चुराओ
अभी भी मन कुछ सोचता है , और मैं बिन बात मुस्कुराऊँ 
रूठा नहीं ये किसी के जाने के बाद 
पिघला नहीं ये किसी की याद में
आज भी मेरा मन मेरे ही पास है 


अभी भी मन करता है कुछ देर अकेले बैठूं
अभी भी मन सुनना चाहता है दिल की गहरी बातें
अभी भी मन जानता है दफ्न हुए उन राजों को 
अभी भी में को याद है गम की वो काली रातें 
खोया नहीं वो किसी के मिलने के एहसास में 
डूबा नहीं वो किसी को पाने के बाद भी 
आज भी मेरा मन मेरे ही पास है  





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