अभी भी मन करता है की बारिश में भिगो
अभी भी मन कहता है खुद के लिए कुछ गुनगुनाऊँ
अभी भी मन उतना ही शराररती है , कहता है कुछ लम्हे चुराओ
अभी भी मन कुछ सोचता है , और मैं बिन बात मुस्कुराऊँ
रूठा नहीं ये किसी के जाने के बाद
पिघला नहीं ये किसी की याद में
आज भी मेरा मन मेरे ही पास है
अभी भी मन करता है कुछ देर अकेले बैठूं
अभी भी मन सुनना चाहता है दिल की गहरी बातें
अभी भी मन जानता है दफ्न हुए उन राजों को
अभी भी में को याद है गम की वो काली रातें
खोया नहीं वो किसी के मिलने के एहसास में
डूबा नहीं वो किसी को पाने के बाद भी
आज भी मेरा मन मेरे ही पास है